एक बेगम की जिन्दगी का सच : जिसमें इतिहास की गरिमा और साहित्य की रवानी है अनिल अविश्रांत कहा जाता है कि कुछ सच कल्पनाओं से भी अधिक अविश्वसनीय होते हैं। 'बेगम समरू का सच' कुछ ऐसा ही सच है। एक नर्तकी फरजाना से बेगम समरू बनने तक की यह यात्रा न केवल एक बेहद साधारण लड़की की कहानी है बल्कि एक ऐसे युग से गुजरना है जिसे इतिहासकारों ने आमतौर पर 'अंधकार युग' कह कर इतिश्री कर ली है, पर उसी अंधेरे मे न जाने कितने सितारे रौशन थे, न जाने कितनी मशालें जल रही थीं और न जाने कितने जुगनू अंधेरों के खिलाफ लड़ रहे थे। फरजाना एक सितारा थी जिसने अपनी कला, अपनी बुद्धि और अपने कौशल से इतिहास में अपने लिए जगह बनाई। साहित्यिक विधा में इतिहास लिखना एक बड़ा जोखिम भरा काम है। जरा-सा असन्तुलन रचना की प्रभावशीलता को खत्म कर सकता है। इसके लिए विशेष लेखकीय कौशल की आवश्यकता होती है। 'बेगम समरू का सच' पढते हुए यह कौशल दिखता है। यह किताब न केवल इतिहास की रक्षा करने में सफल रहती है बल्कि इसे पढ़ते हुए पाठक को साहित्य का रस भी प्राप्त होता है। लेखक का अनुसंधान, ऐतिहासिक तथ्यों के प...