निधी
ऐ ज़िंदगी!
ज़रा ठहर
वक्त लिख
रहा है
सदियों की
दास्तां।
बन न जाए ये हकीक़त
कहीं किस्से कहानी दुनिया के लिए
तूने तो दिखाया आईना
हम ही नादान बने गर
तो तेरी क्या खता
ए ज़िन्दगी
क्या अहम, क्या घमण्ड
क्या मैं, क्या तू
सब हैं एक दायरे में अब
समझ जाएं
तो बात बने।।।
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