तलवे छुपे हुए हों तो घुटने ही चाट ले,
चमचागिरी का शौक़ भी कितना अजीब है।
वास्तव में चमचागिरी भी एक शौक़ है।अगर किसी के तलवे जूतों में छुपे हों तो आज के चमचे घुटने तक चाटने को तैयार रहते हैं।कई शौक़ की तरह चमचागिरी भी शौक़ है, इस शौक़ को पूरा करने के लिए लोग शानदार कपड़े तक सिलवा लेते हैं।आजकल कई प्रकार के चमचे दिखाई पड़ रहे हैं।मुख्यतः चमचे दो प्रकार के तो होते ही हैं एक अफ़सरों के चमचे दूसरे नेताओं के चमचे।मालिकों के आसपास भी चमचे मंडराते रहते हैं इन चमचों की भी कई वैराइटीयाँ हैं।अफ़सर की चमचागिरी करने वाला चमचा अभूतपूर्व अहंकार से भरा होता है।वह अपनी पत्नी पर भी रौब जमाता है भले ही उसकी पत्नी उसकी ख़बर ले लेती हो।अगर कोई अफ़सर किसी चमचे का ज़्यादा इस्तेमाल करने के लिए कभी चाय पिला दे तो चमचा कई दिनों तक ग्लैड रहता है।जब किसी मोहल्ले में कोई अफ़सर आता है,तो अव्वल दर्जे का चमचा सबसे पहले उसके पास पहुंचता है ताकि पूरा मोहल्ला उसे कुछ समझे।पूरा मोहल्ला उसे कुछ समझे इसके लिए वह अफ़सर से पूंछ हिलाने की मुद्रा में बात करता है।ऐसे चमचे यह जताने की कोशिश करते हैं कि इस मोहल्ले के सबसे ज़्यादा समझदार वही हैं।ऐसे चमचे यह बिल्कुल पसन्द नहीं करते कि कोई और चमचा अफ़सर के नज़दीक जाए।चमचों में भी कम्पीटिशन होता है।चमचागिरी का हास्यास्पद प्रदर्शन ऐसे कार्यक्रम में देखने को मिलता जिसमे कुछ अफ़सर मौजूद हों।सबसे ज़्यादा मज़ा वहाँ आता है जहाँ अफ़सर भी हों और नेता भी,वहाँ चमचागिरी का अद्भुत दृश्य दिखाई पड़ता है।चमचागिरी के गौहर हर शहर में मिलते हैं।अफ़सर के सामने ख़ुद को बेहतरीन चमचा साबित करने के लिए चमचे कार्यक्रम के संचालक से अपना नाम बोलने को भी कहते हैं।ऐसा नहीं है कि चमचागिरी का चमचों को फ़ायदा नहीं मिलता।अफ़सर की चमचागिरी करने वाले गाने वाले,कवि या शायर इस फ़ायदे में रहते हैं कि अफ़सर का जहां-जहां तबादला होता है अफ़सर उन्हें वहां-वहां होने वाले कार्यक्रमों में उन्हें अच्छे मेहनताने पर बुलाता है।आज कल कई चमचे कई तरह के फ़ायदे में हैं।नेताओं के चमचे भी फ़ायदे में रहते हैं कइयों का तो सारा खर्च चमचागिरी की बदौलत ही चलता है,तो ऐसा भी नहीं है कि यह सिर्फ़ शौक़ ही है यह फ़ायदे का सौदा भी है उनके लिए जो चमचागिरी को अच्छा मानते हैं।मैंने कहा है-
अफ़सर को देखते ही हिलाने लगे है दुम,
चेहरे से देखिए उसे कितना ग़रीब है।
तलवे छुपे हुएं हो तो घुटने ही चाट ले,
चमचागिरी का शौक़ भी कितना अजीब है।
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