अमन कुमार त्यागी
अंधे को आंख की
लंगड़े को टांग की
लूले को हाथ की
गूंगे को जीभ की
बहरे को कान की
जैसे जरूरत होती है
वैसे ही राजनीति को
वोट की जरूरत होती है
भूखे को ब्रेड की
प्रिय को प्रेम की
नंगे को वस्त्र की
योद्धा को अस्त्र की
बच्चे को मां की
जैसे जरूरत होती है
वैसे ही राजनीति को
वोट की जरूरत होती है
वोट की जरूरत
दिखाई देती है
बटन दबाने तक
या मोहर लगाने तक
उसके बाद होता है खेल
रेलमपेल धकमधकेल
धकमधकेल रेलमपेल
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