आलोक त्यागी पढ़ाई पूरी करते-करते मेरा चयन, एक प्रसिद्ध दवाई की कंपनी में सहायक मेडिकल आॅफिसर के लिए हो गया तो मैं हरिद्वार अपने बच्चों के साथ रहने लगा। मेरा काम आॅफिस के अतिरिक्त फील्ड में जाना भी है। अपनी नौकरी का कत्र्तव्य निभाने के लिए प्रत्येक माह कम से कम दो बार मैं क्षेत्र में जरूर जाता हूँ। मेरे कार्यक्षेत्र के एक कस्बे के सभी दवा विक्रेताओं से मेरी अच्छी जान पहचान भी हो गयी। जब भी किसी दवाई की दुकान पर संपर्क करने जाता हूँ या किसी डाॅक्टर से मिलता हूँ, तो चाय अवश्य ही झेलनी पड़ती है। यहां एक खास बात यह है कि डाॅक्टर चाय मंगवाए या दवा विक्रेता, आॅर्डर देने के दस मिनट में चाय लेकर हमेशा ताई ही आती है, चाय भी स्पेशल कुल्हड़ में, कम मीठी, इलायची और अदरक की मिलीजुली महक, कड़क पत्ताी, जो सारी थकान पलों में उतार देती। शुरू में तो मुझे सामान्य लगा लेकिन मेरे मन मंे जिज्ञासा हुई। मैंने एक दिन दवा विक्रेता से पूछा- आप हमेशा ताई से ही चाय क्यों मंगवाते हो, दुकानें तो और भी हैं? लेकिन सन्तोषजनक उत्तर न मिला। मैंने डाॅक्टर से भी पूछा मगर वह भ