अर्चना राज
ढलती उम्र का प्रेम
कभी बहुत गाढ़ा
कभी सेब के रस जैसा,
कभी बुरांश
कभी वोगेनविलिया के फूलों जैसा,
कभी जड़-तने
तो कभी पोखर की मछलियों जैसा,
ढलती उम्र में भी होता है प्रेम !!
क़तरा-क़तरा दर्द से साभार
अर्चना राज
ढलती उम्र का प्रेम
कभी बहुत गाढ़ा
कभी सेब के रस जैसा,
कभी बुरांश
कभी वोगेनविलिया के फूलों जैसा,
कभी जड़-तने
तो कभी पोखर की मछलियों जैसा,
ढलती उम्र में भी होता है प्रेम !!
क़तरा-क़तरा दर्द से साभार
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