डॉ. एस. के. जौहर
हौंसला अपना भी अक्सर आज़माना चाहिए।
आंख में आंसू भी हों तो मुस्कुराना चाहिए।।
अब नहीं होती हिफ़ाज़त ग़म की इस दिल से मेरे।
अब कहाँ जाकर तेरे ग़म को छुपाना चाहिए।।
शाख पर कांटों में खिलते फूल से ये सीख लो।
वक्त कितना ही कठिन हो मुस्कुराना चाहिए।।
चांद सूरज की तरह ख़ुद को समझते हो तो फिर।
भूले भटकों को भी तो रस्ता दिखाना चाहिए।।
दूसरों के नाम करके अपनी सब खुशियां कभी।
दूसरों के दुख में भी तो काम आना चाहिए।।
दूरियां पैदा न कर दें ये ज़िदें 'जौहर' कभी।
वो नहीं आये इधर तो हमकों जाना चाहिए।।
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