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ग्रामीण भारत में हो रहा है बदलाव : धर्मपाल सिंह


धर्मपाल सिंह राजपूत सेवानिवश्त शिक्षक हैं और सेवानिवश्ति के बाद राजनीति में सक्रिय हैं। आप वर्तमान में 'अखिल भारतीय हिंदू शक्ति दल' उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हैं। आपका मानना है कि ग्रामीण भारत बहुत तेजी से बदल रहा है और यह बदलाव अच्छा है। प्रस्तुत है उनसे आलोक त्यागी द्वारा की गई बात के अंश- 


सवाल- ग्रामीण भारत किसे कहेंगे?
जवाब- जो भारत गाँवों में बसता है, वही तो ग्रामीण भारत है। 
सवाल- ग्रामीण भारत को किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब- ग्राम और कृषि भारत के विकास को निर्धारित करता है। ग्रामीण भारत में कृषि महत्वपूर्ण आय का साधन है। इसके बावजूद ग्रामीण जनसंख्या समृद्धि की ओर बढ़ रही है। आज किसान तमाम खर्च राक कर अपने बच्चों को पढ़ा रहा है और यही पढ़ाई अतिरिक्त रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत को समृद्ध कर रही है। 
सवाल- आजादी के बाद किसान की आय उसकी खेती की वजह से कितनी बढ़ी है?
जवाब- आजादी के बाद सरकार द्वारा भूमि सुधार कानूनों को बनाने और  क्रियान्यवन करने से काफी बदलाव आया है। अधिक कृषि योग्य सरकारी भूमि निर्धनों और जरूरतमंद खेतीहरो को आजीविका के लिए वितरित की गई। यह परिकल्पना कृषि विकास को प्रोत्साहन देने और ग्रामीण निर्धनता को समाप्त करने के लिए की गई थी। जिससे यह लाभ हुआ कि बेकार अथवा बंजर पड़ी भूमि भी धरे-धरे कृषि योग्य बनने लगी और आज हालात यह है कि बेकार भूमि दूर दूर तक नजर नहीं आती है। दूसरी बात यह कि फार्मिंग टूल्स विकसित हुए हैं और किसानों तक पहुँचे हैं जिसके कारण पारंपरिक कृषि के बजाए आधुनिक रूप से कृषि होने लगी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि किसान की आय निश्चित रूप से बढ़ी है। 
सवाल- क्या आप मानते हैं कि किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है?
जवाब- मैं तो क्या? इस देश का एक भी किसान यह बात नहीं मान सकता है। मैं पहले एक किसान हूं उसके बाद शिक्षक अथवा राजनीतिज्ञ। किसान की हाड़तोड़ मेहनत देश को तो विकसित कर रही है मगर उसकी फसल का उचित मूल्य उसे नहीं मिल पा रहा है। कभी गन्ना, कभी टमाटर, कभी आलू या फिर कभी प्याज का मूल्य इस देश की राजनीति को प्रभावित करते हुए देखे गए हैं।
सवाल- कृषि ऋण माफी के बारे में क्या कहेंगे, क्या किसान इस माफी से लाभ नहीं उठाता है?
जवाब- मजाक बना रखा है, कर्मपुत्रों को भिखारी बना कर रख दिया है। कृषि ऋण माफ कर देना किसान की समस्या का हल नहीं हो सकता है और यह सरकार के हित में भी नहीं है। कृषि ऋण माफी किसान अथवा उद्योगों के लिए हितकर नहीं हो सकती। सरकार को चाहिए कि वह किसान की फसल का उचित मूल्य दिलाए जाने की व्यवस्था करें ताकि वह बेफिक्र हो राष्ट्र के लिए फसल उगाता रहे और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहे।
सवाल- गन्ना किसान बार-बार आंदोलन करता है, सरकार वादा करती है, मगर चीनी मिल गन्ने का भुगतान करने में देरी करते हैं?
जवाब- बस इतना ही कहूंगा कि किसान और उसकी उपज के लिए कोई ठोस नीति न बन पाने के कारण ऐसा हो रहा है। किसान के सामने समस्या है कि वह अपनी उपज कहाँ लेकर जाए। यदि सरकार कोई ठोस नीति बनाए और कृषि उपज का समय से निर्यात हो सके तो भारतीय किसान लगभग आधी दुनिया के लिए अन्नदाता बन सकता है। मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है जिसके कारण हमारी कृषि भूमि और किसान दोनों के लिए ही अच्छी स्थिति नहीं है। 
सवाल- चुनावी वादों को क्या कहेंगे?
जवाब- चुनाव में जो वादे किए जाते हैं, उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।


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