अर्चना सुयाल
कोमल है कमजोर नहीं तू,
शेरनी है कोई चोर नहीं तू,
काली दुर्गा और शिवानी,
तू महामाया, तू रूद्रानी ।
पूजते हैं तुम्हें राजा-रानी,
प्रेम से सुनते तेरी कहानी,
भर-भर के आॅंखों में पानी,
तुझे चढ़ाये गंगा का पानी ।
कौन बिगाड़ तेरा पायेगा,
जो आयेगा मिट जायेगा,
रूप देखकर डर जायेगा,
क्रोध में तेरे जल जायेगा ।
हाथ पकड़े तो, तोड़ दे उसको,
आॅंख दिखाये तो, फोड़ दे उसको,
सच्चा रास्ता दिखा दे उसको,
अच्छी सीख सिखा दे उसको ।
काली दुर्गा की शक्ति तुम,
भोले नाथ की हो भक्ति तुम,
वर पाओ भोले दानी से,
काली, भवानी, रूद्रानी से ।
पाप का घड़ा फोड़ तुम डालो,
पाप का बखिया, उधेड़ तुम डालो,
गंगाजी में खूब नहाओ,
बम-बम भोले शंकर गाओ ।।
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